Help Sohan achieve his dreams of becoming a pilot.

₹10,000 of ₹2.5 lakh raised

मंज़िलें उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है।
पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों में उड़ान होती है।

कुछ ऐसे ही हौसले रखते हैं सोहन और शायद इसीलिए जल्द ही वह वास्तव में आसमान में उड़ान भरेंगे।

पर अपने हौसलों के साथ-साथ उनकी इस उड़ान के लिए, अब उन्हें आप सबकी मदद की ज़रुरत है।

महाराष्ट्र के परभणी जिले के एक छोटे से गाँव पाचेगाव में रहने वाले एक किसान पिता के बेटे सोहन खंदारे ने अब तक हँसते-हँसते हर मुश्किल का सामना किया है और आज उनका सिलेक्शन कमर्शियल पायलट प्रोग्राम के लिए हो गया है।

पर यहाँ तक का रास्ता आसान नहीं था। सोहन के पिता, आनंदराव के पास तीन एकड़ ज़मीन है लेकिन सूखे की मार ने उन्हें कभी भरपेट खाने नहीं दिया। पेट चाहे भरा हो न हो, आनंदराव और उनकी पत्नी छायाबाई ने अपने बच्चों के लिए सपने भरपूर देखें। गरीबी के कारण सबसे बड़ी बेटी को तो वे बारहवीं तक ही पढ़ा सके पर बड़े बेटे को इंजीनियर बनाया, छोटी बेटी को होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करवाई और सबसे छोटे बेटे सोहन ने खुद ही एक सपना देख लिया। सपना… आसमान में उड़ने का!

बचपन से ही होनहार रहे सोहन को छठी कक्षा में ही जवाहर नवोदय विद्यालय में दाखिला मिल गया था। यहीं उनकी मुलाक़ात उनके दो सीनियर से हुई – एक कैप्टन अतुल, जो आज इंडिगो एयरलाइन्स में पायलट हैं और सत्यजीत थोराट, जो आज कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग पूरी कर चुके हैं। इन्हीं दोनों से प्रेरणा लेकर सोहन ने पायलट बनने के सपने बुने।

बारहवीं तक पढ़ने के बाद उन्हें पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में बीएससी फिजिक्स में आसानी से दाखिला मिल गया। इसी साल उनके बड़े भाई, सिकंदर की इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होनी थी। नौकरी मिल जाती तो पूरे परिवार के दिन फिर जाने थे। लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। इसी साल कोविड ने तबाही मचाई। बड़े भाई को दो साल तक घर पर ही रहना पड़ा। उधर बड़ी बहन, शीतल के पति की भी कोविड से मृत्यु हो गयी और शीतल और उसके दो बच्चों की ज़िम्मेदारी भी सोहन के पिता पर आ गयी।

सोहन ने पुणे में ये दिन बड़ी कठिनाईयों में बिताये। कैटरिंग का काम किया, छुट्टियों में भी नौकरियां की, पटाखें बेचें। यहाँ तक कि सिर्फ एक समय का ही खाना खाकर दिन बिताये और अपनी पढ़ाई पूरी की।

इतनी मुश्किलों के बावजूद, इस बच्चे का लक्ष्य सधा हुआ था। अपने दोनों सीनियर से ही पूरा मार्गदर्शन लेकर सोहन ने खुद ही अमेठी के IGRU अकादमी के परीक्षा की तैयारी की। आखिरकार इतने संघर्षों के बाद आज उनका नाम CPL परीक्षा की मेरिट लिस्ट में है!

इस कोर्स की फीस 45 लाख रुपये है। पर SC उम्मीदवार होने की वजह से उन्हें सेंट्रल गवर्नमेंट से स्कॉलरशिप मिल रही है और ये पूरी फीस माफ़ है।

लेकिन इस होनहार युवक के लिए मुश्किलें अब भी ख़त्म नहीं हुई हैं। हॉस्टल, मेस, इंश्योरेंस, कंप्यूटर, यूनिफार्म इत्यादि के लिए सोहन को अब भी 5.5 लाख रुपयों की ज़रुरत है। तीन लाख रुपये तो उन्होंने किसी तरह 4% ब्याज प्रति माह पर उधार लिए हैं, लेकिन शेष 2.5 लाख रुपये अगर न मिल पाए तो उनका बरसों का देखा सपना अधूरा ही रह जायेगा। सोहन ने बैंक में भी इसकी अर्ज़ी दी पर प्राइवेट बैंक इस कोर्स के लिए लोन नहीं देते और सरकारी बैंक का कहना है कि लोन के लिए उन्हें पहले एडमिशन लेना होगा और फिर अर्ज़ी देनी होगी।

इस राशि को जमा करने की अंतिम तिथि 5 जुलाई है और अब शायद हम सब मिलकर ही सोहन को आसमान की ऊँची उड़ान दे सकते हैं। और हमें देनी ही होगी उसे ये उड़ान, नहीं तो फिर कभी किसी छोटे से गाँव के गरीब किसान का बेटा उड़ने का सपना नहीं देख पायेगा।

सोहन का कहना है कि ऐसे बहुत मौके आये जब उन्हें या उनके परिवार को लगा कि उन्हें अपने सपने अगली पीढ़ी को ही विरासत में देने होंगे, क्योंकि शायद वे तो इन्हें पूरा ही नहीं कर पाएंगे। पर जब भी सालभर काम करके वह घर वापस लौटते और अपने पिता की मदद के लिए दूसरों के खेतों में भी काम करते, जब भी उनका पूरा परिवार साथ बैठकर अच्छे दिनों की बात करता, रूखी-सूखी खाकर भी एक दूसरे के चेहरे पर मुस्कान देखता, तब उन्हें इस बात का यकीन होता कि बुरे दिन भी गुज़र जायेंगे और एक न एक दिन सारे सपने पूरे होंगे।

पायलट बनने के बाद सोहन अपने गाँव में शिक्षा की अलख जगाना चाहते हैं। आज अगर हम सोहन का भविष्य सुधारेंगे तो शायद आगे चलकर वह अपने पूरे गाँव की किस्मत बदल सके। तो, सोचिएगा नहीं, जितना संभव हो सके उतनी राशि के साथ सोहन की मदद ज़रूर करिएगा।

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